विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत आज न जाने किन परिस्थितियों से मजबूर होता दीख रहा है ! विश्व परिद्रश्य पर निगाह डालें तो हम अपने आपको आज बहुत कमजोर महसूस कर रहे हैं ! कहने वाले कहते रहते हैं कि भारत एक मजबूत देश है लेकिन मुझे ऐसा कहीं नहीं लगता कि हम किसी भी देश पर भरी पड़ रहे हैं ! हालाँकि किसी भी देश को दबाने की हमारी न कभी मंशा रही है और न ही कभी नीयत ! लेकिन इस सबके बावजूद हम आजकल ये देख रहे हैं कि विश्व का सबसे ज्यादा जनसँख्या ( चीन के बाद ) वाला मुल्क , आस पड़ोस से भयभीत नजर आता है !
मुझे आज इस लेख को लिखते समय दो कहानियां याद आ रही हैं ! आपके साथ साझा करना चाहता हूँ !
जंगल में राजा शेर और शेरनी रहते थे ! एक दिन सुबह सुबह शेर बाहर बैठा अखबार पढ़ रहा था ! उसे दूर से एक चूहा उनके घर की तरफ आते हुए दिख रहा था ! जैसे ही शेर ने चूहे को देखा , वो उसे पहिचान गया और तुरंत अपने घर में घुस कर दरवाजा बंद कर लिया ! चूहा दरवाजे पर आकर चिल्लाने लगा , गालियाँ बकने लगा ! अबे निकल स्स्साले ……! बाहर निकल ! बहुत राजा बना फिरता है ! बाहर निकल के आ ! तेरी सारी हेकड़ी निकालता हूँ ! अबे निकल ……स्स्साले …..मादर …..! जैसे जैसे शेर , चूहे की आवाज़ सुनता , वो और अन्दर घुस जाता ! शेरनी ने ये माजरा देख लिया तो शेर को कहने लगी कि बाहर जाकर इसे पीटते क्यूँ नहीं ? शेर बोला -कोई बात नहीं ! रहने दे ! खुद ही चला जाएगा ! थोड़ी देर चिल्लाएगा फिर चला जाएगा ! चूहा गाली देता रहा , शेर सुनता रहा ! लेकिन शेरनी को गुस्सा चढ़ गया और अपनी चूड़ियाँ शेर की तरफ फैंककर वो गुस्से में चूहे को मारने बाहर निकल गयी ! जैसे ही चूहे ने शेरनी को गुस्से में आता हुआ देखा , उसने दौड़ लगा दी ! अब क्या , चूहा आगे आगे शेरनी पीछे पीछे ! जब शेरनी पूरे गुस्से में तमतमाए हुए थी , चूहा जंगल में पड़े एक पाइप में से निकल गया , शेरनी भी पीछे थी ! चूहा निकल गया लेकिन शेरनी पाइप में फस गयी ! चूहे ने मौका देख कर उठाया डंडा और बजा दिया शेरनी के पिछवाड़े पर ! चूहा तो अपना काम करके निकल लिया ! शेरनी बेचारी जैसे तैसे पाइप में से निकलकर घर पहुंची तो शेर बाहर ही बैठा था ! शेर ने पूछ लिया , पिट आई ? शेरनी बोली -तुम्हें कैसे पता ? शेर – वो मेरे साथ यही तो करता है ! तभी तो मैंने तुझे मना किया था !
ये तो थी बस एक काल्पनिक कहानी ! लेकिन ये कहानी हमारे अपने मुल्क पर घटित होती प्रतीत हो रही है ! हम , जो विश्व की महाशक्तियों से हर क्षेत्र में होड़ ले रहे हैं ! हम , जो स्पेस के क्षेत्र में महा शक्ति हैं ! हम जो आर्थिक महाशक्ति बनाने की तरफ अग्रसर हैं ! लेकिन वो हम ही हैं जिसको हर कोई हड़का देता है ! ऐसे तो काम नहीं चलता ! कभी हमारे एक जिले से भी छोटा मालदीव हमें आँख दिखा देता है और हमारा सौदा रद्द कर देता है ! कभी बंगला देश जैसा देश जो हमारे रहमो करम पर बना है , हमारे ही लोगों ( हिन्दुओं का ) का सर्वनाश करने पर अमादा हो जाता है ! पाकिस्तान ने हमें इन ६५ वर्षों में कभी चैन से नहीं रहने दिया ! चीन को अभी छोड़ ही दीजिये क्यूंकि वो बहुत तेज़ दिमाग वाला देश है ! वो जब करेगा तो कुछ बड़ा ही करेगा ! अब इटली के दो मामा हमें मामू बनाकर निकल लिए ! इसकी जवाबदेही किसकी बनती है ? क्या मेरी ? क्या आपकी ? मुझे नहीं याद कि कभी और देश से हमारे कैदी नागरिक होली, दीवाली या ईद मनाने के लिए अपने वतन वापस आये हों ? लेकिन क्यूंकि वो मामा थे इसलिए उन्हें इटली जाने दिया गया क्रिसमस मनाने को ! वाह ! अपने लोगों को कभी इज़ाज़त दी है भारत सरकार ने कि जाओ अपने घर दीवाली मना आओ फिर इसी जेल में आ जाना ! नहीं ! मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि जिस देश की सरकार अपने लोगों की इज्ज़त नहीं करती उस देश की सरकार विदेशों में भी अपनी इज्ज़त बनाकर नहीं रख सकती ! अगर आज यही घटना उलटी हुई होती , यानी कि हमारे लोग इटली की जेल में होते तो क्या वहां की सरकार उन्हें दीवाली मनाने के लिए भेजती ? और क्या हमारी सरकार उन्हें रोक कर रख सकती थी ? नहीं ! बिलकुल नहीं ! हम तो न्याय के पुजारी हैं ! भले अपने लोगों को न्याय मिले या न मिले विदेशियों को न्याय अवश्य मिलना चाहिए ! इतना नरम रवैया क्यूँ ? इतना सॉफ्ट कार्नर क्यूँ ? और उसके बदले हमें क्या मिलता है ? यही कि श्री लंका और बंगला देश जैसे देश भी हमें जब मन करता है तब हड़का जाते हैं ? यही कि इटली जैसा मच्छर देश भी हमें आँखें दिखाता है ? विदेश नीति का परिणाम है ये या कुछ और ? कहीं मामा लोगों ने ये तो नहीं समझ लिया कि जैसे महारानी के दामाद का कोई कुछ नही उखाड़ सकता है ऐसे ही उनका कोई कुछ नहीं उखाड़ सकता है ? वैसे भी भारत में मायके वालों को हमेशा ही प्राथमिकता दी जाती है ! तो ऐसा तो नहीं कि महारानी के मायके की तरफ के लोगों को कोई विशेष छूट दी जाती हो ? आखिर वो मामा हैं हमारे युवराज के ! कोई क्या उखाड़ लेगा उनका ! ये बात शायद उन्हें मालूम है !
प्रधानमंत्री जी भी इस मसले पर बिल से बाहर आकर बात करते हैं , शायद दिखाने के लिए कि कहीं ये सन्देश न जाए कि मामाओं के साथ रियायत बरती जा रही है ! भाजपा भी थोड़े समय बाद चुप पड़ जायेगी जैसे जीजा जी के लिए एक दिन संसद ठप्प कराकर चुप हो गयी ? महारानी हैं ! उन पर या उनके सम्बन्धियों पर कोई कानून लागू नहीं होता ! अब इस बात को कानून बनाकर संविधान में लिखा जाना चाहिए कि महारानी या उनके परिवार पर कोई भी क़ानून लागू नहीं होगा !
यहाँ मैं सिर्फ कांग्रेस की बुराई नहीं करना चाहता बल्कि भारतीय समाज में खामी देखता हूँ ! जैसे हमारे यहाँ के व्यक्ति ( विशेषकर हिन्दुओं को ) को सभ्य , सौम्य और सहनशील समझा जाता है ऐसे ही कुछ भारत को भी ढीला , सज्जन , चुप रहने वाला , पिटने वाला देश समझ लिया जाता है ! लेकिन क्या अब ये बताने और जताने , दिखाने की आवश्यकता नहीं है कि व्यक्ति और देश में फर्क होता है ! हम गाँधी की तरह एक गाल पर थप्पड़ खाने के बाद दूसरा गाल आगे कर सकते हैं लेकिन देश पर तमाचा खाने के बाद चार तमाचे बदले में मारें तभी शायद अक्ल आये !
एक कहानी और याद आ रही है ! हमारे गाँव में एक बहुत धनी व्यक्ति रहता था ! वो ज्यादातर ब्याज पर पैसा उठाता था ! लेकिन धनी होने के बावजूद वो बहुत कंजूस था इसलिए हमेशा ही धोती के दो टुकडे करके पहनता था ! जूते भी हमेशा हाथ में लेकर चलता था ! वो रहता भी बहुत गन्दा था ! शायद साबुन न खर्च हो जाए इसलिए नहाता भी कम ही था ! मैंने स्वयं देखा उसे ! सीधा आदमी था , किसी से लड़ता नहीं था ! उसे डर था कि कहीं किसी से सम्बन्ध न बिगड़ जाएँ ! और उसका ब्याज का काम मंदा न पड़ जाए ! एक दिन वो बरहा (जिसमें पानी चलता है ) में पड़ा था ,एक कुत्ता आया , वो उस आदमी के ऊपर मूत कर चला गया ! उस व्यक्ति की इज्ज़त नहीं थी , ऐसा कह सकता हूँ ! क्योंकि उसके परिवार की लडकियां बदनाम भी थीं ! लेकिन वो कभी किसी से कुछ नहीं कहता था कि कहीं सम्बन्ध खराब न हो जाएँ और उसके पैसे मारे न जाएँ !
यही हाल आज हिंदुस्तान का है ! सम्बन्ध बचाए रखने के लिए वो कभी पाकिस्तान से मार खा लेता है , कभी बंगला देश आँख दिखा देता है ! ऐसा कैसे चलेगा मेरे भाई ! तुम कश्मीर का एक हिस्सा पहले ही पाकिस्तान को दे चुके हो , भगवान् शिव का घर चीन को दे चुके हो , अब और कितना दयालु और सहनशील बनोगे मेरे भाई ? ये सहनशीलता नहीं , कमजोरी है ! कायरता है ! नपुंसकता है ! जो अपनी और अपने घर की इज्ज़त न बचा सके , उसे मर्द नहीं नामर्द कहते हैं ! तो क्या अब ये मान कर चला जाए कि अब माँ भारती के सपूत नामर्द हो गए हैं ?
भगवान् राम के शब्द याद करो !
भय बिन होए न प्रीत !
खून ठंडा पड़ गया है शायद तुम्हारा ! लेकिन याद रहे , हमारे सैनिकों का खून उबाल मार रहा है ! हमें नाज़ हैं उनकी फड़कती बाजुओं पर ! आदेश दो ! दुश्मन को नेस्तनाबूद करने का ! स्पष्ट कहो , और खुलकर जवाब दो , कि हम कोई ” घंटा ” देश नहीं हैं कि जो चाहे और जब चाहे हमें बजाकर चला जाये !
है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर, और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर. खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है !!
लेखन में कुछ अपशब्दों का उपयोग जानबूझकर नहीं किया गया है बल्कि विषय की मांग के अनुरूप लिखा गया है ! अगर आपको आपत्ति है तो करबद्ध होकर क्षमा चाहता हूँ !
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