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चलते – चलते

kahi ankahi
kahi ankahi
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तेरी आरजू , तेरी जुस्तजू , तेरा इंतज़ार
ओह ! हमें कितना काम है आजकल ।


एक जेल में और एक ‘ बेल’ में
नेताओं का कितना नाम है आजकल ॥


छत पर एक झंडा लगा लिया जाए
पार्टियों के झंडे का क्या दाम है आजकल ?


काम से फुर्सत पाकर तुझे ही ढूँढता हूँ
तेरी जुल्फों के तले ही मेरी सुबहे-शाम है आजकल ॥


चलो इन उसूलों को कूड़े में डाल दें
इस मुल्क में सोच गुलाम है आजकल ॥


हुकूमत से कोई उम्मीद लगाना छोड़ दो
चोरों के हाथ में मुल्क का निजाम है आजकल ॥


अदीब-ओ-अमन के पैरोकार कहाँ गए
निठल्लों के हाथ में कलाम है आजकल ॥


अब छोड़ दी जाएँ ‘ योगी ‘ ज़मीर -ओ- ईमान की बातें
हिन्द में बस ताकत को सलाम है आजकल ॥


​मुझे ​ग़ज़ल कहनी नहीं आती , लेकिन दिल में शब्द उमड़ -घुमड़ रहे थे , बस उनको व्यक्त किया है !

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