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राति माछर नैं खाइ लई रे …..

kahi ankahi
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बहुत दिनों से ब्रज में विवाह के समय में गाये जाने वाले गीतों के विषय में आपसे बात करना चाह रहा था लेकिन वक्त के आगे सबको सर झुकाना पड़ता है , मैं भी झुकाए हुए खड़ा रहा ! अब कुछ फुर्सत मिली तो सोचा आज आपसे इस विषय पर बात करी जाए ! हालाँकि भारत में ये माना जाता है कि पग पग भाषा और कोस कोस पर बोली बदलती है ! एक कहावत भी है ब्रज भाषा में ! कोस कोस पर पानी बदले कोस कोस पर बानी ! बानी मतलब वाणी यानी बोली ! बहुत स्पष्ट रूप से इसे मेरे यहाँ से समझा जा सकता है ! मेरा गाँव उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ में जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर सिकतरा सानी है और मेरे गाँव से बस एक बम्बा (राजवाहा ) पार करके दूसरा गाँव नगला केसिया है ! परिचय देने का कोई मकसद नहीं है बस भूमिका बनानी है ! मेरा गाँव ब्राह्मण बहुल है जबकि अगला गाँव यादव बहुल ! मेरा गाँव बहुत छोटा है उनकी तुलना में लेकिन मेरे गाँव से हर परिवार से कम से कम एक व्यक्ति सरकारी नौकरी में है और ज्यादातर इंजिनियर हैं ! मैं भी उनमें शामिल हूँ ! लेकिन सरकारी नहीं ! बात बोली की ! केवल कुछ कदम पर दूर इन दौनों गाँव की बोली में जमीन आसमान का अंतर है ! जैसे मेरे गाँव में माँ को माँ या मम्मी बोलते हैं वहां जिया बोलते हैं ! मेरे गाँव में अगर किसी लड़की का नाम सुनीता है तो उसे सुनीता ही बोला जाएगा लेकिन वहां उसे सुनितनियाँ कहा जाएगा ! मेरे गाँव में हर शब्द में ‘ म ‘ मिला दिया जाता है जैसे खाना खाना है को कहेंगे मोए खानों खाम्नों ऐं या फिर खानों खाओनोन ऐं ! वो बाज़ार जामतु ऐ !


खैर ये बोली है और हर बोली बोलने वाला अपने आपको गर्वित महसूस करता है ! बोली बोली होती है अच्छी या बुरी नहीं ! विषय पर आते हैं ! ब्रज में अधिकांश विवाह 5 दिन के होते हैं ऐसे 3 दिन और 7 दिन के भी होते हैं लेकिन व्यस्तता और शायद आर्थिक कारणों की वजह से अब 3 दिन के भी होने लगते हैं ! चट मंगनी पट ब्याह भी खूब चल रहा है ! और जगहों की तरह यहाँ भी महिला संगीत की धुनें पूरे जोश और उत्साह में होता है ! मैं ज्यादा विस्तृत नहीं जाऊँगा ! इसमें ज्यादा वक्त लगेगा ! दो विशेष बातें ही कहूँगा !


जब महिला संगीत होता है तो लगभग हर महिला को नृत्य करना होता है जो ज्यादा कुशल होती हैं उनका लगभग प्रतिदिन होता है अन्यथा बारी बारी से ! ये संगीत जब समाप्त होता है तब घर की मुख्य महिला सहित सभी महिलाएं घर के द्वार (दरवाज़े ) तक आती हैं और फिर संगीत ख़त्म करने का रिवाज़ करती हैं ! ये रिवाज़ असल में एक ढोला (लोकगीत ) होता है ! उनमें से ही एक बहुत ज्यादा गाया जाने वाला ढोला है जिसकी कुछ पंक्तियाँ आज भी दिमाग और दिल में हैं जो हमेशा अच्छी लगती हैं !


मोरी पै बिछा इ लई खाट ……………………………रात माछर नैं खाइ लई रे ।

मुझे पूरा याद नहीं है ! किसी को याद हो तो कृपया पूरा करें ! आभारी होऊंगा !


एक और विशेष आयोजन याद आ रहा है ! जिस दिन बरात जाने को होती है उस दिन से एक दिन पहले मंडप (मढ़ा या माढौ ) होता है जिसमें दुल्हे को अपने सगे सम्बन्धियों से भिक्षा मांगनी होती है ! माताम भिक्षाम देइ ! मुझे नहीं मालुम इसका प्रयोजन क्या है !


एक विशेष, बहुत विशेष आयोजन और होता है ! घूरे का पूजन ! जो लोग घूरा नहीं जानते उनके लिए -वो जगह जहां मवेशियों का गोबर और अन्य मल पदार्थ डाले जाते हैं ! उसकी भी पूजा होती है ! और उस वक्त दुल्हे को आँखें बंद करके , यानी आँखों पर पट्टी बांधकर ले जाया जाता है पूजन के लिए ! उस समय एक गाना गया जाता है ! बहुत मधुर स्वर में लेकिन उससे भी ज्यादा इसके शब्द बहुत यथार्थ लगते हैं ! कुछ पंक्तियाँ देखें –

चिड़ी तोय चामडिया भावै ……………………घर में सुन्दर नारि तोय पर नारी भावै !


घूरे का पूजन मुझे इस सन्दर्भ में लगता है कि शायद हमारे त्यौहार और पर्व निर्माताओं ने हर चीज को महत्त्व दिया है और एक आम आदमी की जिंदगी में उसका पूजन एक दिन जरुर करने का प्रावधान किया है ! देखें – होली के एकदम बाद आने वाले पर्व बासौड़ा पर कुकुर (कुत्ते ) को पूजा जाता है और खाना खिलाया जाता है ! मतलब कुत्ते का एक दिन ! विवाह के अवसर पर घूरे का पूजन यानी घूरे के भी दिन बहुर (सुधर ) जाते हैं ! गोवर्धन पूजा यानी गोबर की पूजा ! अष्टमी के दिन पुत्र की लम्बी आयु की कामना और अभी अभी निकली करवा चौथ के दिन पति नाम के प्राणी की लम्बी आयु की कामना ! मतलब पति के लिए भी एक दिन ! तो इस हिसाब से पति कौन हुआ ? आप तय कर लें !

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करवा चौथ पर कुछ बात कर लें ! आमतौर पर साल में 365 दिन होते हैं और उनमें से एक दिन पति के लिए ! बाकी 364 दिन पत्नी के लिए ? यानी पत्नी 364 दिन पति को सताए और जब पाप का घड़ा भर जाए तो एक दिन उसे खाली कर लो ! जैसे लोग हजार कर्म करने के बाद गंगा नहा आते हैं ! बढ़िया है ! लेकिन फिर भी मैं अपने नीति निर्माताओं को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने कम से कम एक दिन तो पति को दिया ! जय हो ! करवा चौथ के ही दिन की बात है ! मैं पत्नी के लिए दूसरी गली से करवा चौथ के लिए ही करवा लेने गया था ! वहां दो महिलाएं एक आदमी को दौनों तरफ से खींच रही थी ! एक जोर जोर से चिल्ला रही थी ये मेरा पर्सनल पति है , तू कोई और देख ले ! हे भगवान् ! ये पर्सनल पति क्या होता है ? मामला समझ में आ गया था लेकिन आपको बताऊंगा नहीं ! रहने देते हैं ! लेकिन फिर भी -पति पर दया आ रही थी ! सींकिया पहलवान दो पाटों में पिस रहा था ! मैंने पहले पर्सनल कम्पुटर , पर्सनल गाडी तो सुना था ! ये पेर्सोनेल पति ? खैर मैं भी एक पति हूँ , समझ सकता हूँ पतियों का हाल !


बाकी बातें फिर कभी होंगी ! तब तक करवा चौथ को याद करते रहिये ! और अपने ग़मों को भूल जाइये , पत्नी के रूद्र रूप को भी भूल जाइये ! अगले साल फिर करवा चौथ आएगा !

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जय हो !

(सभी महिलाओं का मैं दिल से सम्मान करता हूँ और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मेरा कोई इरादा नहीं है और न ही मैं हिन्दू रीति रिवाजों के खिलाफ हूँ इसलिए आप सभी से करबद्ध प्रार्थना है इसे दिल तक न जाने दें )

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