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” वहाँ ” जिंदगी कदम कदम रोती होगी-(​सामाजिक समालोचना ) contest

kahi ankahi
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हिन्दू शास्त्रों के अनुसार मानव जीवन कई कई योनियों के बाद संभव हो पाता है, और ऐसा माना जाता है कि मानव , भगवान् की सबसे सफल , अशचार्यजनक और सबसे सम्रध रचना है ! अगर हम इस बात को मानते हैं तब हमें उस भगवान् का धन्यवाद भी करना चाहिए जिसने हमें इस रूप में दुनिया में भेजा है ! लोग धन्यवाद करते भी हैं , पूजा पाठ करके ! भले ही विभिन्न रूप में करते हैं लेकिन करते तो हैं ! लेकिन क्या यही और इतना ही काफी है ? हम इंसान का रूप पाकर इस मद में अंधे हो जाते हैं और भगवान् द्वारा प्रदान करी गयी सुविधाओं का दुरूपयोग कर उन्हें कम करते जा रहे हैं ! भगवान् भी कभी कभी अपनी इस रचना पर गर्व करने की बजाय दुःख करता होगा कि मैंने ये क्या कर दिया ?


पिछले कुछ समय से इस तरह की घटनाएं विश्व भर में घटित हो रही हैं जो मन को अन्दर तक हिला देती हैं ! भारत में पाकिस्तान से आये कुछ हिन्दू भारतीय नागरिक बनना चाहते हैं , क्यों ? क्योंकि पाकिस्तान में उनकी जान और माल की हिफाज़त का उन्हें कोई भरोसा नहीं है ! उनकी लड़कियों और महिलाओं की इज्ज़त महफूज़ नहीं है ! क्या एक राष्ट्र इतना कुत्सित हो सकता है कि वो अपने ही नागरिकों की हिफाज़त न कर सके ? अब कहाँ हैं इस्लाम की हिमायत करने वाले ठेकेदार ? और ऐसा सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं , जहां जहां मुस्लिम आबादी बाहुल्य में है वहां यही हालात हैं ! असल में पाकिस्तान में हिन्दू ही नहीं बल्कि कोई भी सुरक्षित नहीं है ! क्या विश्व समुदाय को ये नहीं दीखता है ? क्या कश्मीर में पल पल अपनी टांग अडाने वाले मानव अधिकार आयोग को पकिस्तान्ब की कारगुजारी समझ में नहीं आती है ? आप स्वयं समझ सकते हैं ! कश्मीर तो भारत का हिस्सा था , वहां मुस्लिम अधिसंख्यक थे उन्होंने वहां से हिन्दुओं को भगा दिया तो पाकिस्तान से भगाने में क्या दिक्कत रही होगी ? भारत की सरकार पहले भी “मूर्ति ” बनकर बैठी रही और आज भी बैठी है ! स्वीकार क्यों नहीं कर लेते कि हम हिजड़ों की औलाद हैं ? हमारे बस का कुछ भी नहीं ! हमारे यहाँ शाहरुख़ खान को कोई कुछ कह दे तो पाकिस्तान, भारत में अल्पसंख्यकों की हिफाज़त का सवाल उठा देता है लेकिन हमारे हिन्दू बिरादरी के लोग पाकिस्तान छोड़कर आ जाते हैं तो भी भारत की सरका कुछ नहीं करती ? हिंदुस्तान की पहिचान कृष्णा और राम से है , ये हमें समझना होगा ! हम धर्म निरपेक्ष है लेकिन हमारी संस्कृति भारतीय संस्कृति है , हिन्दू संस्कृति है ! हम पाकिस्तान जैसे असफल , भूखे और आतंकवादी राष्ट्र से ये उम्मीद नहीं कर सकते कि वो अल्पसंख्यकों पर हो रहे जुल्मो सितम के खिलाफ कोई कार्यवाही करेगा लेकिन हम विश्व समुदाय को आगाह कर सकते हैं कि वो उस पर दबाव डाले ! पाकिस्तान से आये हिन्दू जब अपनी अपनी कहानी बयान करते हैं तब आँखों से आंसू आने लगते हैं कि क्या ऐसा भी हो सकता है ? क्या इंसान ऐसा भी कर सकता है ? इन कुछ हिन्दुओं की स्थिति को देखकर पाकिस्तान में रह रहे लगभग पच्चीस लाख हिन्दुओं की बेचारगी का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है कि वहां मानवता कैसे रहती होगी ? क्या इस्लाम इसकी इज़ाज़त देता है ? या सब कुछ बस इस्लाम ही है और मानवता कुछ भी नहीं ? कभी कभी तो ऐसा लगता है जैसे पाकिस्तान में इंसान नहीं हैवान बसते हैं ! मैं मानता हूँ कि वहां भी कुछ इंसान है लेकिन उनकी हैवानों के सामने कोई औकात नहीं रही होगी ! मैं मानता हूँ कि इस्लाम के सच्चे हितेषी भी वहां होंगे लेकिन कठमुल्लों के सामने उनकी हैसियत कमजोर रह गयी होगी ? लेकिन इस तरह तो मानवता ख़त्म हो जायेगी ?

पता नहीं क्यूँ आज ऐसा लगता है धर्म , मज़हब शायद इंसान से ज्यादा महत्वपूर्ण हो चला है ! और एशिया में तो शायद और भी ज्यादा ! खाड़ी के कुछ देशों में हर रोज़ के विस्फोट , शायद एक दिन सभ्यता को ही नष्ट न कर दें ! पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आपस में लड़ते झगड़ते तालिबान और कठमुल्ले शायद इंसान को वहां रहने ही नहीं देना चाहते ! ये शायद पाषाण युग है , जो जीतेगा वही जीएगा ! बाकी को न जीने का हक़ है और न इस दुनिया में रहने का हक़ ! दुनिया को जंग का मैदान बना दिया है लोगों ने ! अगर कैसे भी दौनों कोरिया अपनी अपनी बात पर अड़ गए और कल को युद्ध हो जाए तब क्या होगा , अनुमान लगाया जा सकता है ? आज इंसान शायद जंगली पशुओं से मुकाबला करना चाहता है कि कौन जीतेगा ? और जो जीतेगा वो दूसरे को मारेगा और उसका खून पिएगा, उसका मांस खायेगा ! ओह ! कैसी दुनिया है ये ?


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कभी श्री लंका में सिंहलीज़ , तमिल हिन्दुओं का सफाया कर देना चाहते हैं तो कभी बंगला देश हमारे एहसानों के बदले हमारी कौन को ही खतम कर देना चाहता है ! हालाँकि १ ० ० करोड़ से ज्यादा और दुनिया भर में फैले हुए हिन्दुओं को इतनी आसानी से ख़त्म नहीं किया जा सकता ! वो दिन और थे जब हिन्दू लाचार था , कायर था ! हमारी सरकारें किसी मजबूरी से बंधी हो सकती हैं हम नहीं ! ये भी सत्य है कि हिन्दू आज भी सहनशील है , मानवता का पुजारी है और इसी वज़ह से वो हिंदुस्तान से गुलाम के रूप में जाकर मॉरिशस और फिजी में सत्ता तक पहुँचता है , इसी वज़ह से माइक्रो सॉफ्ट जैसे संसथान में ४ ० प्रतिशत से ज्यादा अपना योगदान देता है ! तभी सुनीता विलियम्स और कल्पना चावला जैसे बेटियां उसके घर की शोभा बनती हैं ! तभी ३ ५ प्रतिशत नासा के कर्मचारी भारतीय और हिन्दू होते हैं ! इसीलिए , क्योंकि हमारे लिए मानवता सर्वश्रेष्ठ है , धर्म नहीं !


हालाँकि ये मानव प्रवृति है कि वो दुसरे को न तो खुश देख सकता है और न ही प्रसन्न ! भगवान् गौतम बुद्ध ने हमेशा अहिंसा का नारा दिया किन्तु बुद्ध धर्म के अनुयायियों ने जिस तरह का कत्ले आम मचाया हुआ है वो कहीं से भी इस धर्म की शिक्षाओं पर खरा नहीं उतरता ! श्री लंका में सिंहलीज़ लोगों ने प्रभाकरन के बहाने लाखों तमिलों का खून बहा दिया , ये कैसा धर्म है भाई ? बर्मा में बोद्धों ने रिंगानिया समुदाय के मुस्लिमों को घरों में जिन्दा जला दिया , ये कैसी धरम की शिक्षा है भाई ? ये कैसा धर्म है ? और आज भी यही सब चल रहा है ! मुझे नहीं मालूम कि आज तक कभी किसी हिन्दू राजा ने या हिन्दुओं ने दूसरे धर्म के मानने वालों से कभी इस तरह का सलूक किया हो या देश से भगाया हो ? संभव है इतिहास में ऐसा कुछ हुआ हो लेकिन मैं नहीं जानता !


आज शायद दुनिया को कुछ लोग जितना खूबसूरत बना देना चाहते हैं , ये धर्मों के ठेकेदार उसी दुनिया को बदबूदार , खतरनाक और कुरूप करने में लगे हुए हैं ! कल्पना करिए उन लोगों के बारे में , उनकी जिंदगी के बारे में जो हर पल मौत को देखते होंगे ! जो हर पल अपनी बहन बेटियों की इज्ज़त लुट जाने के डर से सहमे सहमे से रहते होंगे ! कल्पना करिए उन मासूमों की जिंदगी की जिनकी आँखों में सुनहरे कल के सपने होंगे और जिन्हें अनायास ही , अकस्मात ही मौत अपने आगोश में ले लेती होगी ! जहां जिन्दगी पल पल और कदम कदम रोती होगी ! ओह ! क्या धर्म जरुरी है ? और अगर जरुरी है तो क्या ऐसा धर्म जरुरी है मानव के लिए ?


देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान
कितना बदल गया इनसान
सूरज न बदला चांद न बदला ना बदला रे आसमान
कितना बदल गया इनसान

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